Friday, 9 February 2018

ईआरएमयू एक दिवसीय धरना में उठा रेलकर्मियों के केंद्रीय लंबित मांगों एवं स्थानीय समस्याओं का मुद्दा


जमालपुर। ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन कोलकाता के आह्वान पर जमालपुर रेल कारखाना के गेट संख्या 3 पर ईआरएमयू जमालपुर शाखा के तत्वाधान में शुक्रवार को एक दिवसीय धरना दिया गया। एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के दौरान ईआरएमयू के पदाधिकारियों ने रेल कर्मियों के केंद्रीय लंबित मांगों एवं स्थानीय समस्याओं से जुड़े मुद्दे उठाए। धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता शाखा अध्यक्ष विश्वजीत कुमार ने की। धरना प्रदर्शन  का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद केंद्रीय ईआरएमयू कोलकाता के उपाध्यक्ष कामरेड रामनगीना पासवान ने किया। धरना प्रदर्शन के आरंभ में ईआरएमयू के सदस्यों ने यूनियन के समर्थन में जोरदार नारे लगाएं इस दौरान "मज़दूर एकता जिंदाबाद",  "रेल में एफडीआई नहीं चलेगा",  "डॉ विवेक देवराय कमेटी की सिफारिशों को रद्द करो",  "रेलवे के सभी रिक्त पदों को भरना होगा", "नए कार्यों के लिए नए पदों का सृजन करना होगा",  "नई पेंशन योजना को रद्द करो" जैसे नारे लगाए जा रहे थे। शाखा सचिव वीरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि रेल देश की जीवन रेखा है। देश का विकास रेल के विकास पर निर्भर है। यात्रियों के लिए रेल सबसे सस्ता एवं सुलभ यातायात का साधन है। देश में सबसे बड़ा रेल उद्योग है। जो बेरोजगारी दूर करने में अहम भूमिका निर्वहन करता है। परंतु देश के नीति निर्धारक रेलवे पर ग्रहण लगाने में जुटे हैं। रेल मंत्रालय एवं भारत सरकार द्वारा रेल में 100 फ़ीसदी एफडीआई लागू कर रेलवे को बदहाली की ओर धकेल दिया है, जिसे हम रेलकर्मी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। भारत सरकार द्वारा रेल कर्मचारियों के लंबित मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण कर्मचारियों में विक्षोभ है। भारत सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं कर उन्हें निराश किया है। नई अंशदाई पेंशन योजना को समाप्त कर देना चाहिए। यह बाजार जोखिमों पर आधारित है। एक्ट अप्रेंटिस प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं को ग्रुप-डी में तुरंत प्रभाव से नियुक्ति होनी चाहिए। भारत सरकार डॉ विवेक देवराय कमेटी की रिपोर्ट को धीरे-धीरे लागू कर रही है। यह रिपोर्ट पूर्ण रूप से लागू हो जाता है, तो कल-कारखाने, स्टेशन, रेलवे अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, आरपीएफ जैसी सभी महत्वपूर्ण सेवाएं निजी हाथों में चली जाएगी। एक तरफ बहाली बंद है तो दूसरी ओर भारत सरकार द्वारा आउट सोर्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे कर्मचारियों के पदोन्नति भी प्रभावित हो रही है। सरकार की इस नीति से बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। युवा रेलकर्मियों को आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी 9 फरवरी को प्रस्तावित धरना प्रदर्शन में रेल कारखाना के गेट संख्या 3 पर रेल मजदूर अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर अपनी एकता का परिचय दें। मजदूरों की एकता से ही घबरा कर कारखाना प्रबंधन मजदूरों की मांग पूरी करने के लिए तैयार होगा। अध्यक्षता कर रहे विश्वजीत कुमार ने कहा कि रेल मंत्रालय डॉ विवेक देवराय की जो रिपोर्ट लागू करने जा रही है उस रिपोर्ट के तहत रेलवे ट्रैक पर निजी संस्था यात्रा एवं माल गाड़ी चलाते हुए अपने अनुसार यात्रियों से किराया वसूल करेगी। इस रिपोर्ट में रेल सेवा को आउटसोर्स करने, रेलवे उत्पादन इकाई एवं कारखाना को निजी क्षेत्र में देने, रेलवे बोर्ड को भंग कर पुनर्गठित करने, छात्र-महिला-वरिष्ठ नागरिक-अस्वस्थ लोग-खिलाड़ी-संवाददाता-विकलांग लोगों को रेल किराया में मिलने वाली छूट एवं अन्य सुविधाएं समाप्त करने, रेलवे स्कूल-कॉलेज बंद करने, आरपीएफ को हटाकर प्राइवेट सिक्योरिटी सेवा बहाल करने, अनुकंपा व लार्सजेस आधार पर मृतक रेलक
कर्मियों के आश्रितों को नौकरी नहीं देने, रेल के लिए अलग बजट नहीं करने, रेलवे में बाहर से रेल अधिकारी नियुक्त करने, केटरिंग सेवा पूर्णरूपेण निजी क्षेत्र के भरोसे छोड़ देने जैसी सिफारिशें मुख्य रूप से की गई है। इस रिपोर्ट की अधिकांश प्रस्ताव को वर्तमान सरकार लागू कर चुकी है। मौके पर युगल किशोर यादव, ओमप्रकाश शाह, दीपक कुमार सिन्हा, मो बहाउद्दीन, गोपाल, अभिषेक कुमार, संजीव कुमार, मनोज कुमार, टुनटुन ठाकुर, अर्जुन सिंह, के एन विश्वास, रंजीत कुमार, अनिल प्रसाद यादव, संजय कुमार सिंह, रिजवान आलम, ललन कुमार, विनय कुमार, कमलेश्वरी चौधरी, कमलेश कुमार, सुशील कुमार, राहुल रमन, युगल किशोर यादव एवं मो सैयद अरशद अजीम मौजूद थे।

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