। जमालपुर प्रखंड संतमत सत्संग समिति के तत्वधान में बड़ी आशिकपुर स्थित सत्संगी शंभू ताती के आवास पर समर्थ गुरु रामदास जी महाराज की जयंती निष्ठा पूर्वक मनाई गई। जयंती समारोह की अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष प्रमोद यादव एवं संचालन सचिव उदयशंकर स्वर्णकार ने की। समर्थ गुरु रामदास जी महाराज की जयंती के मौके पर एक दिवसीय सत्संग सभा, भजन-कीर्तन, प्रवचन एवं आरती गान की गई। प्रवचनकर्ता हृदय नारायण बाबा ने अपने प्रवचन में संतों के अवतरण एवं उनके योगदानों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी पर संतों का अवतरण मानव कल्याण के लिए होता है। संतों की वाणी सदा अनुकरणीय होती है। समर्थ गुरु रामदास जी महाराज एक सच्चे सद्गुरु थे। अध्यक्ष प्रमोद यादव ने कहा कि संतमत सत्संग में सभी संतों का सम्मान आदर है। इस सत्संग में सभी संतों की वाणीयों का पाठ होता है। सत्संगियों द्वारा सभी संतों की जयंती निष्ठा पूर्वक मनाई जाती है। प्रचार मंत्री राजेंद्र कुमार चौरसिया ने कहा कि समर्थ गुरु रामदास जी महाराज का जन्म 1665 ईस्वी में औरंगाबाद दक्षिण में हुआ था। इनके पिता का नाम सूर्या जी पंत और माता का नाम रजूबाई था। 12 वर्ष की आयु में इनका विवाह हो रहा था तो उसी समय यह मंडप से भागकर हिमालय की तराई में तपस्या के लिए चले गए। जहां उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हुआ। स्वामी समर्थ रामदास जी का उपदेश था कि देह दुख को मन से निकाल दो और दुख को सुख समझकर हमेशा ईश्वर भक्ति में लगे रहो। मनुष्य के लोग की पूर्ति कभी नहीं होती। इसलिए उसे त्याग कर हमेशा आनंदमय जीवन बिताओ। उन्होंने 73 वर्ष की आयु में 1739 में महाराष्ट्र के सज्जनगढ नामक स्थान पर समाधि ली। सचिव उदयशंकर स्वर्णकार ने कहा कि संतों का जीवन और उपदेश चलने के लिए ही संतों की जयंती मनाई जाती है। मौके पर अंबिका प्रसाद तांती, वासुदेव मंडल, राजेश सरस्वती, शिवचरण साह, सतीशचंद्र दास, सचिता मंडल, जवाहर तांती, कारेलाल मंडल, नागेश्वर पासवान, प्रभात कुमार गुप्ता, लालमणि यादव सीताराम वैद्य, गणेश साह एवं पवन चौरसिया मौजूद थे।
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