रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के आगमन पर फूलों के गमलों से सजाया गया रेलवे स्टेशन, अधिकारियों के जाते ही पड़ा वीरान।
अधिकारियों के आगमन पर चलता है फव्वारा, जाते ही बन जाता है कूड़ादान
जमालपुर। अंग्रेजों ने एशिया का सबसे पहला एवं सबसे बड़ा रेल इंजन कारखाना जमालपुर में स्थापित किया इस रेल कारखाने की वजह से जमालपुर शहर लौहनगरी के नाम से जाना जाने लगा। समय के परिवर्तन के साथ ही जमालपुर रेल कारखाना भी रेल अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार होता गया। जिससे जमालपुर शहर धीरे-धीरे विकास के पथ पर कोसों दूर रह गया। कहने को तो यह जमालपुर शहर रेलवे के क्षेत्र में पूर्व रेलवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां रेलवे का ऐतिहासिक रेल कारखाना एवं इरिमी संस्थान मौजूद है। मगर कागजों पर ही जमालपुर शहर के विकास की बात की जा सकती है। जमालपुर में जब कभी रेलवे के वरीय अधिकारी एवं मंत्री सरीखे लोग अपना कदम रखते हैं तो जमालपुर स्टेशन को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला विगत 13 एवं 14 फरवरी को जब भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान (इरिमी) के वार्षिक दिवस समारोह में हिस्सा लेने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी का पदार्पण जमालपुर स्टेशन पर हुआ। सीआरबी के आगमन से एक दिन पहले मालदा रेल मंडल प्रबंधक तनु चंद्रा की अगुवाई में जमालपुर स्टेशन परिसर को सैकड़ों फूलों के गमलों से इस कदर सजाया गया कि मानो पूरा स्टेशन ही एक फुलवारी नजर आ रही थी। चाहे स्टेशन प्रबंधक का कक्ष हो या जीआरपी कार्यालय, चाहे आरपीएफ यार्ड पोस्ट कार्यालय हो या रेलवे भोजनालय का मुख्य द्वार हर तरफ हरियाली और रंग बिरंगे फूलों के पौधे नजर आ रहे थे। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 पर स्थित रेल अधिकारियों के हर कक्ष के द्वार को फूलों के गमलों से सुसज्जित किया गया था। 13 फरवरी एवं 14 फरवरी को जमालपुर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 को जन्नत की तरह खूबसूरत बना दिया गया था। मगर सीआरबी के जाते ही यह जन्नत पुनः वीरान में तब्दील हो गया।
सीआरबी को खुश करने के लिए लगाया गया था फूलों का गमला
स्टेशन के जिन कक्षों के बाहर नए गमलों में लहलहाती रंग बिरंगी फूलों के पौधे स्टेशन की शोभा बढ़ा रहे थे। आज न जाने वे पौधे कहां गुम हो गए। जहां सीआरबी के आने से पूर्व स्टेशन पर सैकड़ों की संख्या में फूलों के गमले को सजाया गया था। आज स्टेशन परिसर में एक फूल का गमला तक नजर नहीं आता। लोग अब यह सवाल उठाते हैं कि क्या रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के आगमन से पूर्व रेल अधिकारियों ने 2 दिनों के लिए ये गमले किराए पर तो नहीं मंगाया था। जिसे रेल अधिकारियों व अतिथियों के जाते ही हटा लिया गया। यह गमले रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को खुश करने मात्र लगाया गया था।
स्टेशन पर वयाप्त कमियों को छुपाने के लिए लगाया गया था फूलों का गमला
जमालपुर रेलवे स्टेशन पर जिस प्रकार रोजाना गंदगी का अंबार नजर आता है। स्टेशन परिसर में व्याप्त कमियों को छुपाने के लिए रेलवे के वरीय अधिकारियों द्वारा जमालपुर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 पर सैकड़ों की संख्या में फूलों के गमलो को सजाया गया था। काम निकलते ही उन किराए के गमलों को वापस भेज दिया गया।
रेल अधिकारियों के लिए ही चलाई जाती है फव्वारे
जमालपुर रेलवे स्टेशन परिसर में स्थित पानी का फव्वारा केवल रेल के वरीय अधिकारियों के मनोरंजन के लिए ही लगाया गया है। जब भी रेलवे के मंडल स्तरीय अधिकारी, पूर्व रेलवे जोन स्तरीय अधिकारियों या उनसे वरीय अधिकारियों का पदार्पण जमालपुर स्टेशन क्षेत्र में होता है, तभी इस फव्वारे को उनके मनोरंजन के लिए चलाया जाता है। उनके जाते ही इन फव्वारों को बंद कर दिया जाता है। जब कोई रेल यात्री फव्वारा ना चलाए जाने की शिकायत लेकर स्टेशन अधीक्षक या रेल के अन्य अधिकारियों के पास पहुंचता है, तो उनसे कहा जाता है कि फव्वारा खराब है। लोगों का मानना है कि यह फव्वारा आम यात्रियों के लिए केवल शोभा मात्र की वस्तु बनकर रह गई है। अधिकारियों के जाने के बाद यह फव्वारा कूड़ेदान के रूप में तब्दील हो जाता है।
अधिकारियों के आगमन पर चलता है फव्वारा, जाते ही बन जाता है कूड़ादान
जमालपुर। अंग्रेजों ने एशिया का सबसे पहला एवं सबसे बड़ा रेल इंजन कारखाना जमालपुर में स्थापित किया इस रेल कारखाने की वजह से जमालपुर शहर लौहनगरी के नाम से जाना जाने लगा। समय के परिवर्तन के साथ ही जमालपुर रेल कारखाना भी रेल अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार होता गया। जिससे जमालपुर शहर धीरे-धीरे विकास के पथ पर कोसों दूर रह गया। कहने को तो यह जमालपुर शहर रेलवे के क्षेत्र में पूर्व रेलवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां रेलवे का ऐतिहासिक रेल कारखाना एवं इरिमी संस्थान मौजूद है। मगर कागजों पर ही जमालपुर शहर के विकास की बात की जा सकती है। जमालपुर में जब कभी रेलवे के वरीय अधिकारी एवं मंत्री सरीखे लोग अपना कदम रखते हैं तो जमालपुर स्टेशन को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला विगत 13 एवं 14 फरवरी को जब भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान (इरिमी) के वार्षिक दिवस समारोह में हिस्सा लेने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी का पदार्पण जमालपुर स्टेशन पर हुआ। सीआरबी के आगमन से एक दिन पहले मालदा रेल मंडल प्रबंधक तनु चंद्रा की अगुवाई में जमालपुर स्टेशन परिसर को सैकड़ों फूलों के गमलों से इस कदर सजाया गया कि मानो पूरा स्टेशन ही एक फुलवारी नजर आ रही थी। चाहे स्टेशन प्रबंधक का कक्ष हो या जीआरपी कार्यालय, चाहे आरपीएफ यार्ड पोस्ट कार्यालय हो या रेलवे भोजनालय का मुख्य द्वार हर तरफ हरियाली और रंग बिरंगे फूलों के पौधे नजर आ रहे थे। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 पर स्थित रेल अधिकारियों के हर कक्ष के द्वार को फूलों के गमलों से सुसज्जित किया गया था। 13 फरवरी एवं 14 फरवरी को जमालपुर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 को जन्नत की तरह खूबसूरत बना दिया गया था। मगर सीआरबी के जाते ही यह जन्नत पुनः वीरान में तब्दील हो गया।
सीआरबी को खुश करने के लिए लगाया गया था फूलों का गमला
स्टेशन के जिन कक्षों के बाहर नए गमलों में लहलहाती रंग बिरंगी फूलों के पौधे स्टेशन की शोभा बढ़ा रहे थे। आज न जाने वे पौधे कहां गुम हो गए। जहां सीआरबी के आने से पूर्व स्टेशन पर सैकड़ों की संख्या में फूलों के गमले को सजाया गया था। आज स्टेशन परिसर में एक फूल का गमला तक नजर नहीं आता। लोग अब यह सवाल उठाते हैं कि क्या रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के आगमन से पूर्व रेल अधिकारियों ने 2 दिनों के लिए ये गमले किराए पर तो नहीं मंगाया था। जिसे रेल अधिकारियों व अतिथियों के जाते ही हटा लिया गया। यह गमले रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को खुश करने मात्र लगाया गया था।
स्टेशन पर वयाप्त कमियों को छुपाने के लिए लगाया गया था फूलों का गमला
जमालपुर रेलवे स्टेशन पर जिस प्रकार रोजाना गंदगी का अंबार नजर आता है। स्टेशन परिसर में व्याप्त कमियों को छुपाने के लिए रेलवे के वरीय अधिकारियों द्वारा जमालपुर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 पर सैकड़ों की संख्या में फूलों के गमलो को सजाया गया था। काम निकलते ही उन किराए के गमलों को वापस भेज दिया गया।
रेल अधिकारियों के लिए ही चलाई जाती है फव्वारे
जमालपुर रेलवे स्टेशन परिसर में स्थित पानी का फव्वारा केवल रेल के वरीय अधिकारियों के मनोरंजन के लिए ही लगाया गया है। जब भी रेलवे के मंडल स्तरीय अधिकारी, पूर्व रेलवे जोन स्तरीय अधिकारियों या उनसे वरीय अधिकारियों का पदार्पण जमालपुर स्टेशन क्षेत्र में होता है, तभी इस फव्वारे को उनके मनोरंजन के लिए चलाया जाता है। उनके जाते ही इन फव्वारों को बंद कर दिया जाता है। जब कोई रेल यात्री फव्वारा ना चलाए जाने की शिकायत लेकर स्टेशन अधीक्षक या रेल के अन्य अधिकारियों के पास पहुंचता है, तो उनसे कहा जाता है कि फव्वारा खराब है। लोगों का मानना है कि यह फव्वारा आम यात्रियों के लिए केवल शोभा मात्र की वस्तु बनकर रह गई है। अधिकारियों के जाने के बाद यह फव्वारा कूड़ेदान के रूप में तब्दील हो जाता है।
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