मुंगेर(एनएच लाइव बिहार के लिए सुजीत कुमार की रिपोर्ट।)
Edited by Prince Dilkhush
जमालपुर - वर्षों से जमालपुर रेल कारखाना में अपने कर्तव्यनिष्ठा व बेहतर डयूटी के लिए माने जाने वाले मुंगेर जिले के खड़गपुर प्रखंड के कोरिया निवासी राजेंद्र प्रसाद यादव के संस्कारों से प्रेरणा लेकर कुमार गौरव ने आइएएस, भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में 214 वां रैंक हासिल कर अपने पिता व परिजनों का सपना पूरा करने का काम किया है। कुमार गौरव ने अपनी सफलता का श्रेय भी अपने परिजन को दी है। गौरव के आइएस चुने जाने से क्षेत्र में भी खुशी का माहौल है। गुरुवार को दिनभर उनके घर व फोन पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। मूल रूप से गांव खड़गपुर के कोरिया निवासी राजेंद्र यादव जमालपुर में तैनात है। अपने से काफी कम उम्र के अधिकारियों को देखकर इनकी की भी इच्छा थी कि उनका पुत्र भी बड़ा होकर आइएएस या आइपीएस बने ताकि एक दिन वह अपने पुत्र को ही सैल्यूट कर सके।
नगर के एमपी स्कूल से पांचवीं और सेंट्रल स्कूल से बारहवीं करने के बाद गौरव का एनआइटी में पढ़ाई के लिए चयन हुआ। वर्ष 2014 में पहली बार आइएएस की परीक्षा दी लेकिन असफल रहे। परीक्षा में असफल रहने से गौरव का हौसला एक बार भी नहीं टूटा। टूट सा गया। इसके बाद उसने फिर से इसकी तैयारी शुरू की। दूसरी बार 2015 में दी जिसमे 831रैंक ज्यादा हीने की वजह से आइआरटीएस में चयन हुआ। लेकिन एडुकेशन लीव लेकर फिर से आइएस की तैयारी में जुट गया। दो बार लगातार असफल रहने के बाद तीसरी बार में गौरव सफलता प्राप्त करते हुए 214 वां स्थान हासिल किया।
👉संघर्ष को बनाया सफलता का सूत्र।
##कुमार गौरव ने कहा कि मुसीबतों व असफलताओं से घबराने वाला कभी कामयाब नहीं हो सकता। वह भी एक बार घबरा गया था लेकिन उसके बाद उसने दोगुने उत्साह से इसकी तैयारी की जिसकी बदौलत वह आईएएस बनने में कामयाब हुआ।
👉कभी नहीं ली कोचिंग।
##
गौरव ने कहा कि आइएएस की परीक्षा के लिए उसने कभी किसी प्रकार की कोचिंग नहीं ली। वह घर पर रहकर ही लगातार छह से सात घंटे पढ़ाई करता था। उसे पिता का सपना पूरा करने के लिए आइएएस बनने का जुनून था जिसके चलते उसने नियमित पढ़ाई करनी जारी रखी।
Edited by Prince Dilkhush
जमालपुर - वर्षों से जमालपुर रेल कारखाना में अपने कर्तव्यनिष्ठा व बेहतर डयूटी के लिए माने जाने वाले मुंगेर जिले के खड़गपुर प्रखंड के कोरिया निवासी राजेंद्र प्रसाद यादव के संस्कारों से प्रेरणा लेकर कुमार गौरव ने आइएएस, भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में 214 वां रैंक हासिल कर अपने पिता व परिजनों का सपना पूरा करने का काम किया है। कुमार गौरव ने अपनी सफलता का श्रेय भी अपने परिजन को दी है। गौरव के आइएस चुने जाने से क्षेत्र में भी खुशी का माहौल है। गुरुवार को दिनभर उनके घर व फोन पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। मूल रूप से गांव खड़गपुर के कोरिया निवासी राजेंद्र यादव जमालपुर में तैनात है। अपने से काफी कम उम्र के अधिकारियों को देखकर इनकी की भी इच्छा थी कि उनका पुत्र भी बड़ा होकर आइएएस या आइपीएस बने ताकि एक दिन वह अपने पुत्र को ही सैल्यूट कर सके।
नगर के एमपी स्कूल से पांचवीं और सेंट्रल स्कूल से बारहवीं करने के बाद गौरव का एनआइटी में पढ़ाई के लिए चयन हुआ। वर्ष 2014 में पहली बार आइएएस की परीक्षा दी लेकिन असफल रहे। परीक्षा में असफल रहने से गौरव का हौसला एक बार भी नहीं टूटा। टूट सा गया। इसके बाद उसने फिर से इसकी तैयारी शुरू की। दूसरी बार 2015 में दी जिसमे 831रैंक ज्यादा हीने की वजह से आइआरटीएस में चयन हुआ। लेकिन एडुकेशन लीव लेकर फिर से आइएस की तैयारी में जुट गया। दो बार लगातार असफल रहने के बाद तीसरी बार में गौरव सफलता प्राप्त करते हुए 214 वां स्थान हासिल किया।
👉संघर्ष को बनाया सफलता का सूत्र।
##कुमार गौरव ने कहा कि मुसीबतों व असफलताओं से घबराने वाला कभी कामयाब नहीं हो सकता। वह भी एक बार घबरा गया था लेकिन उसके बाद उसने दोगुने उत्साह से इसकी तैयारी की जिसकी बदौलत वह आईएएस बनने में कामयाब हुआ।
👉कभी नहीं ली कोचिंग।
##
आईएएस कुमार गौरव
गौरव ने कहा कि आइएएस की परीक्षा के लिए उसने कभी किसी प्रकार की कोचिंग नहीं ली। वह घर पर रहकर ही लगातार छह से सात घंटे पढ़ाई करता था। उसे पिता का सपना पूरा करने के लिए आइएएस बनने का जुनून था जिसके चलते उसने नियमित पढ़ाई करनी जारी रखी।
Solute sir🙏🙏🙏🙏🙏🙏 guddu
ReplyDeleteHighly appreciate your self dedication /effort
ReplyDelete