ब्यूरो,प्रिंस दिलखुश।
(एनएच लाइव बिहार।)
बिहार/सूबे के करीब चार लाख संविदा कर्मचारियों की सेवा को स्थायी करने की दिशा में राज्य सरकार ने फिर पहल की है।विभिन्न विभागों में वर्षो से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की सेवा शर्तो में हाल में हुए बदलाव के मुताबिक नए सिरे से रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अंतिम तौर पर तैयार रिपोर्ट 24 अप्रैल से 19 मई के भीतर समिति को सौंपी जाएगी।
राज्य सरकार ने संविदा कर्मचारियों की सेवा को स्थाई करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में समिति बना रखी है। समिति के कार्यकाल को इसी वर्ष फरवरी में तीसरा विस्तार मिला है। अब अगले एक वर्ष के भीतर उसे संविदा कर्मचारियों की सेवा-शर्तो का निर्धारण कर नौकरी को स्थायी करने की प्रक्रिया क्रियान्वित करनी है।
सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव धर्मेद्र सिंह गंगवार ने गुरुवार को सभी संबंधित विभागों के प्रमुखों को पत्र भेजकर कहा है कि संविदा कर्मचारियों के नियोजन को लेकर हाल के दिनों में कई माध्यमों से अलग-अलग दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस बीच राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 फीसद आरक्षण भी लागू किया गया है।
इसी तरह स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। ऐसे में परिवर्तन के मुताबिक नए सिरे से सेवा-शर्तो का निर्धारण अनिवार्य है।
नए सिरे से विचार क्यों : संविदाकर्मियों की पहचान कर उनकी सेवा-शर्तो के निर्धारण के लिए विभिन्न विभागों में नोडल पदाधिकारी पहले से ही नियुक्त हैं।
जिन्होंने संबंधित प्रतिवेदन उच्चस्तरीय समिति को पहले ही भेज दिया था। किंतु इसके बाद कई बार अलग-अलग माध्यमों से राज्य सरकार की सेवा-शर्तो में व्यापक परिवर्तन किया गया है। कभी अधिनियम में संशोधन के जरिए तो कभी अदालत के आदेशों के मुताबिक बदलाव हुआ है। ऐसे में जरूरी है कि संशोधन के मुताबिक प्रतिवेदन तैयार किया जाए।
(एनएच लाइव बिहार।)
बिहार/सूबे के करीब चार लाख संविदा कर्मचारियों की सेवा को स्थायी करने की दिशा में राज्य सरकार ने फिर पहल की है।विभिन्न विभागों में वर्षो से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की सेवा शर्तो में हाल में हुए बदलाव के मुताबिक नए सिरे से रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अंतिम तौर पर तैयार रिपोर्ट 24 अप्रैल से 19 मई के भीतर समिति को सौंपी जाएगी।
राज्य सरकार ने संविदा कर्मचारियों की सेवा को स्थाई करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में समिति बना रखी है। समिति के कार्यकाल को इसी वर्ष फरवरी में तीसरा विस्तार मिला है। अब अगले एक वर्ष के भीतर उसे संविदा कर्मचारियों की सेवा-शर्तो का निर्धारण कर नौकरी को स्थायी करने की प्रक्रिया क्रियान्वित करनी है।
सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव धर्मेद्र सिंह गंगवार ने गुरुवार को सभी संबंधित विभागों के प्रमुखों को पत्र भेजकर कहा है कि संविदा कर्मचारियों के नियोजन को लेकर हाल के दिनों में कई माध्यमों से अलग-अलग दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस बीच राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 फीसद आरक्षण भी लागू किया गया है।
इसी तरह स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। ऐसे में परिवर्तन के मुताबिक नए सिरे से सेवा-शर्तो का निर्धारण अनिवार्य है।
नए सिरे से विचार क्यों : संविदाकर्मियों की पहचान कर उनकी सेवा-शर्तो के निर्धारण के लिए विभिन्न विभागों में नोडल पदाधिकारी पहले से ही नियुक्त हैं।
जिन्होंने संबंधित प्रतिवेदन उच्चस्तरीय समिति को पहले ही भेज दिया था। किंतु इसके बाद कई बार अलग-अलग माध्यमों से राज्य सरकार की सेवा-शर्तो में व्यापक परिवर्तन किया गया है। कभी अधिनियम में संशोधन के जरिए तो कभी अदालत के आदेशों के मुताबिक बदलाव हुआ है। ऐसे में जरूरी है कि संशोधन के मुताबिक प्रतिवेदन तैयार किया जाए।
No comments:
Post a Comment
nhlivemunger@gmail.com