जमालपुर। बिहार के 3.55 लाख नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन देने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले की बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ मुंगेर जिला इकाई के सचिव उदय चंद्र ने सराहना की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन मान दिए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट आज भी अडिग है। राज्य सरकार को कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए बिहार के नियोजित शिक्षकों को उनका वाजिब हक जल्द देना चाहिए। इतना ही नहीं बिहार में 715 वित्तरहित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब 10 हजार शिक्षकों एवं शिक्षा कर्मियों के वेतनमान को लेकर विगत वर्ष उच्च न्यायालय पटना द्वारा जारी निर्देश का भी जल्द पालन किया जाना चाहिए। न्यायालय के आदेशानुसार सूबे में समान कार्य के लिए समान वेतनमान लागू कर बिहार की बदहाल स्थिति को पटरी पर लाया जा सकता है। शिक्षक जो समाज का निर्माता होते हैं उनका वाजिब हक यदि नहीं मिल पाता है तो समाज का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाएगा। शिक्षक भूखे पेट रहकर कब तक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकेंगे। इसलिए सरकार को पहले नियोजित शिक्षकों एवं वित्तरहित शिक्षकों के पूर्ण वेतनमान पर जल्द कदम उठाना चाहिए। संघ के जिलाध्यक्ष कुमुद कुमारी सिन्हा ने कहा है कि न्यायालय के बार-बार निर्देशों के बाद भी सरकार शिक्षकों को उनका वाजिब हक देने से क्यों पीछे हट रही है। माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा जारी निर्देश के बाद अब माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी नियोजित शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान दिए जाने की वकालत की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करना चाहिए इसके अलावा वित्तरहित शिक्षकों के हक में उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर उन्हें भी पूर्ण वेतनमान का लाभ राज्य सरकार जारी करें। संघ के राज्य स्तरीय प्रतिनिधि डा आमोद कुमार सिंह ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने बिहार के शिक्षकों की बदहाल स्थिति को ध्यान में रखते हुए जो फैसला सुनाया है उससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था में काफी हद तक सुधार आएगा।
Tuesday, 30 January 2018
नियोजित शिक्षकों के वेतनमान पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जायज : सचिव
जमालपुर। बिहार के 3.55 लाख नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन देने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले की बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ मुंगेर जिला इकाई के सचिव उदय चंद्र ने सराहना की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन मान दिए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट आज भी अडिग है। राज्य सरकार को कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए बिहार के नियोजित शिक्षकों को उनका वाजिब हक जल्द देना चाहिए। इतना ही नहीं बिहार में 715 वित्तरहित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब 10 हजार शिक्षकों एवं शिक्षा कर्मियों के वेतनमान को लेकर विगत वर्ष उच्च न्यायालय पटना द्वारा जारी निर्देश का भी जल्द पालन किया जाना चाहिए। न्यायालय के आदेशानुसार सूबे में समान कार्य के लिए समान वेतनमान लागू कर बिहार की बदहाल स्थिति को पटरी पर लाया जा सकता है। शिक्षक जो समाज का निर्माता होते हैं उनका वाजिब हक यदि नहीं मिल पाता है तो समाज का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाएगा। शिक्षक भूखे पेट रहकर कब तक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकेंगे। इसलिए सरकार को पहले नियोजित शिक्षकों एवं वित्तरहित शिक्षकों के पूर्ण वेतनमान पर जल्द कदम उठाना चाहिए। संघ के जिलाध्यक्ष कुमुद कुमारी सिन्हा ने कहा है कि न्यायालय के बार-बार निर्देशों के बाद भी सरकार शिक्षकों को उनका वाजिब हक देने से क्यों पीछे हट रही है। माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा जारी निर्देश के बाद अब माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी नियोजित शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान दिए जाने की वकालत की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करना चाहिए इसके अलावा वित्तरहित शिक्षकों के हक में उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर उन्हें भी पूर्ण वेतनमान का लाभ राज्य सरकार जारी करें। संघ के राज्य स्तरीय प्रतिनिधि डा आमोद कुमार सिंह ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने बिहार के शिक्षकों की बदहाल स्थिति को ध्यान में रखते हुए जो फैसला सुनाया है उससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था में काफी हद तक सुधार आएगा।
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