मुंगेर || सम्पादक पवन कुमार चौधरी व उपसम्पादक प्रिंस दिलखुश की साझा रिपोर्ट || सदर प्रखंड क्षेत्र के सीताकुंड डीह स्थित सदकर्माश्रम में ओमकार वृक्ष की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आश्रम की ओर से कदम उठाया गया है। आश्रम में ओम की साधना के साथ-साथ आश्रम की संचालन कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ओमकार बाबा के नेतृत्व में वृक्ष की घेराबंदी का कार्य आरम्भ कर दिया गया है। घेराबंदी सह सुरक्षा कार्य के पहले चरण में ओमकार वृक्ष के चारों ओर ईंट की घेराबंदी कर चबूतरा का निर्माण किया जा रहा है। इसके दूसरे चरण में स्टील फ्रेम से पवित्र पेड़ की घेराबंदी कर उसे सुरक्षित कर दिया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए ओमकार बाबा ने कहा कि इस आश्रम में दूर-दराज के इलाकों से श्रद्धालु आते हैं। ओमकार वृक्ष की कृपा से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण हुई है। इतनी शक्तिशाली वृक्ष की सुरक्षा को लेकर स्थानीय प्रशासन की तरफ से अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए थे। कई असामाजिक तत्वों के द्वारा पेड़ को काटने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे थे। लोगों की आस्था का प्रतिक बन चुके ओमकार वृक्ष को सुरक्षित बनाने के लिए आश्रम को ही आगे कदम बढ़ाना पड़ा।
Sunday 12 November 2017
ओमकार वृक्ष की सुरक्षा के लिए घेराबंदी शुरू
मुंगेर || सम्पादक पवन कुमार चौधरी व उपसम्पादक प्रिंस दिलखुश की साझा रिपोर्ट || सदर प्रखंड क्षेत्र के सीताकुंड डीह स्थित सदकर्माश्रम में ओमकार वृक्ष की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आश्रम की ओर से कदम उठाया गया है। आश्रम में ओम की साधना के साथ-साथ आश्रम की संचालन कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ओमकार बाबा के नेतृत्व में वृक्ष की घेराबंदी का कार्य आरम्भ कर दिया गया है। घेराबंदी सह सुरक्षा कार्य के पहले चरण में ओमकार वृक्ष के चारों ओर ईंट की घेराबंदी कर चबूतरा का निर्माण किया जा रहा है। इसके दूसरे चरण में स्टील फ्रेम से पवित्र पेड़ की घेराबंदी कर उसे सुरक्षित कर दिया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए ओमकार बाबा ने कहा कि इस आश्रम में दूर-दराज के इलाकों से श्रद्धालु आते हैं। ओमकार वृक्ष की कृपा से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण हुई है। इतनी शक्तिशाली वृक्ष की सुरक्षा को लेकर स्थानीय प्रशासन की तरफ से अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए थे। कई असामाजिक तत्वों के द्वारा पेड़ को काटने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे थे। लोगों की आस्था का प्रतिक बन चुके ओमकार वृक्ष को सुरक्षित बनाने के लिए आश्रम को ही आगे कदम बढ़ाना पड़ा।
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