Sunday, 31 December 2017

कचरा प्रबंधन को लेकर अब तक सुस्त पड़ी है नगर परिषद प्रशासन




जमालपुर। जमालपुर नगर परिषद क्षेत्र से कचरा का उठाव करने के बाद उसे डीजल सेड के समीप स्थित बियाडा एवं रेलवे की खाली पड़ी जमीन को डंपिंग जोन बना दिया गया है। अवैध रूप से बने इस डंपिंग जोन में शहर भर के कचरे को डाल दिया जाता है। कचरा प्रबंधन को लेकर नगर परिषद की ओर से अब तक कोई रोडमैप तैयार नहीं किया जा सका है। नगर परिषद बोर्ड की पूर्व कमेटी की ओर से कचरा प्रबंधन को लेकर कई बार बोर्ड के बैठकों में चर्चाएं तो हुई थी। मगर इस चर्चा को बोर्ड की बैठक तक ही सीमित रखा गया। इसे धरातल पर उतारा नहीं जा सका है। घरों से कचरा का उठाव करने के बाद कचरा को खाली पड़े जमीनों पर डंप कर दिया जाता है। नगर परिषद की ओर से कचरों के प्रबंधन को लेकर कोई निश्चित प्लान नहीं तैयार किया जा सका है।


माताडीह के पास अमझर में कचरा प्रबंधन के लिए उपलब्ध है 13 एकड़ जमीन


अंग्रेजी शासन काल के दौरान रेल कारखाना जमालपुर की स्थापना के साथ ही नगर परिषद जमालपुर की भी स्थापना की गई तत्कालीन मुख्य कारखाना प्रबंधक सह नगर परिषद चेयरमैन ने शहर के कचरा प्रबंधन के लिए माताडीह के पास अमझर में डंपिंग जोन बनाया जहां शहर के कछुओं के अलावे कमाऊ शौचालय से निकलने वाले महिला का भी प्रबंधन किया जाता था इस कारण इस क्षेत्र को मैलाटांड़ के नाम नाम से भी जाना जाता है। करीब 13 एकड़ की इस खाली पड़े क्षेत्र पर कचरा प्रबंधन का प्लांट तैयार किया जा सकता है मगर नगर परिषद कचरा कोड डंपिंग करने के लिए कभी रामपुर बस्ती तो कभी इंदरुख पंचायत स्थित खेतों का चयन करती है। जिसको लेकर नगर परिषद प्रशासन को काफी स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था।


अजैविक कचरे का सेवन कर मर रहे पशु-पक्षी


बियाडा एवं जमालपुर रेलवे की भूमि पर पिछले कई वर्षों से समूचे जमालपुर नगर परिषद का जो कचरा एकत्रित किया जा रहा है उसके कारण यहां लाखों स्क्वायर फीट जमीन बंजर हो चुकी है। इस जगह कचरे का टीला बन चुका है। पहाड़ किनारे चरने के लिए आने वाले पशु यहां अक्सर कचरे के आसपास फैली प्लास्टिक एवं अन्य अकार्बनिक विषैले पदार्थों को ग्रहण कर लेती हैं। जिस कारण कई पशु-पक्षी मृत पाए गए हैं। कचरे के अप्रबंधन की वजह से इस क्षेत्र की जैव विविधता बिल्कुल समाप्ति की ओर अग्रसर है। जहां कभी पूर्णरूपेण हरियाली छाई हुई रहती थी। अब वह क्षेत्र कचरों के डंपिंग के कारण सूखा, बंजर, हरियाली विहीन एवं पशु-पक्षी विहीन हो चुका है। इसके अलावा  यहां का  जलस्तर भी  नीचे चला गया है। आसपास के इलाकों की पानी  पूर्णरूपेण  जहरीला  एवं प्रदूषित हो चुका है।


गीले और सूखे कचरे के लिए नगर परिषद प्रशासन हर घर में दो अलग-अलग रंग के डस्टबिन देने की तैयारी में है। नए साल में सभी होल्डिंग धारकों को डस्टबिन दिया जाएगा। ताकि एक में गीला कचरा रखा जा सके। और दूसरे में सूखा कचरा रखे। नप के सफाईकर्मी लोगों के घरों तक जाकर अलग-अलग वाहन में गीला व सूखा कचरा उठा लेंगे।


सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरामेंट की मदद लेगी नप


नगर परिषद प्रशासन जमालपुर शहर में कचरा प्रबंधन प्लांट लगाने के लिए सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरामेंट की मदद लेगी। शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए नए वर्ष में सिटी सैनिटेशन प्लान तैयार किया जाएगा।


नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश दयाल लाल ने बताया कि नए साल में कचरा प्रबंधन के लिए जमीन का चयन कर लिया जाएगा। इसपर तेजी से काम शुरू होगा। ताकि जमालपुर शहर भी बिहार के नक्शे पर कचरा मुक्त शहर के रूप में अपना नाम दर्ज कराएगा। इस काम को पूरा करने के लिए मुजफ्फरपुर नगर निगम एवं मुजफ्फरपुर स्थित एक नगर परिषद से मदद ली जा रही है। मुजफ्फरपुर की तर्ज पर ही जमालपुर में भी कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी।


नगर परिषद की मुख्य पार्षद पार्वती देवी ने बताया कि नगर परिषद अपनी तरफ से सफाई में कोई कोताही नहीं बरत रहा है। सुबह-सुबह नप के सफाई कर्मचारी लोगों के घरों तक जाकर कचरा उठाते हैं। इसके बावजूद लोग सफाई के बाद घर का कूड़ा सड़क या नाले पर डाल देते हैं। अनपढ़ ही नहीं, पढ़े-लिखे लोग भी इस तरह का काम करते हैं। इसके लिए समाज में सफाई को लेकर जागरूक बनाने की जरूरत है।


क्या कहते हैं लोग -

रेलवे संवेदक सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि नगर परिषद प्रशासन यदि नए साल के उपहार स्वरूप कचरा प्रबंधन प्लांट लगाया जाता है, तो जमालपुर के निवासियों को कचरे से मुक्ति मिल जाएगी। मगर, इसकी सफलता के लिए लोगों का सहयोग मिलना आवश्यक है।


सामाजिक कार्यकर्ता सह कांग्रेस नेता साईं शंकर ने बताया कि यदि जल्द ही नगर परिषद के द्वारा कचरा प्रबंधन के लिए कोई स्थाई व्यवस्था नहीं किया जाता है, तो बियाडा के आसपास की भूमि पूर्ण रूप से बंजर हो जाएगी। आसपास के इलाकों में महामारी की भी स्थिति पैदा हो सकती है। स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हम अपने आगे आने वाले पीढ़ी के लिए क्या दे पाएंगे।
 जबतक जैविक कचरा एवं अजैविक कचरा को अलग-अलग नहीं इकट्ठा किया गया, तबतक कचरा प्रबंधन सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता। इससे जैविक कचरे का इस्तेमाल जैविक खाद के रूप में भी किया जा सकता है। साथ ही इससे जैविक गैस तैयार हो सकता है।

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