जमालपुर/मुंगेर (एसबीएन/ नवहिन्दुस्तान संवादाता बिहार)।। कोरोना यानि कोविड-19 जैसे वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन के बीच सभी विद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई बंद होने की वजह से प्राइवेट विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को तिहरी मार झेलनी पड़ रही है।
विद्यालय बंद होने की वजह से बच्चों का नियमित रूप से क्लास करने की दिशा में विद्यालय द्वारा कोई समुचित व्यवस्था नहीं उपलब्ध करा पाना तो संभव नहीं था। परंतु, विद्यालय की ओर से स्मार्ट क्लासेस की मदद से बच्चों की नियमित रूप से पढ़ाई की व्यवस्था की जा सकती थी। शहर के एक-दो बड़े विद्यालयों को छोड़कर किसी भी विद्यालय द्वारा स्मार्ट क्लासेस की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जिससे बच्चों का पढ़ाई काफी हद तक प्रभावित हो चुका है। इसके साथ-साथ कई विद्यालयों द्वारा बच्चों का सिलेबस एवं पाठ्य पुस्तक में बदलाव किए जाने की वजह से पूर्ववर्ती छात्रों से पुस्तक उपलब्ध कराकर बच्चे घर बैठे अपनी पढ़ाई सुचारू रखने में भी असमर्थ हो रहे हैं।
- मोबाइल पर जेपीईजी एवं पीडीएफ से हो रही पढ़ाई
शहर के कई नामी-गिरामी नामी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस की व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में विद्यालय प्रबंधन की ओर से बच्चों के अभिभावक के मोबाइल पर पाठ्यपुस्तक की जेपीईजी एवं पीडीएफ फाइल भेजी जा रही है। चूंकि, विद्यालय द्वारा पाठ्य पुस्तकों एवं सिलेबस में बदलाव कर दिया गया है तो ऐसी स्थिति में बच्चे पूर्ववर्ती छात्रों के पाठ्यपुस्तक की भी मदद लेकर अपनी पढ़ाई करने में असमर्थ हैं। ऐसी परिस्थिति में बच्चों को हर हाल में मोबाइल पर भेजे जा रहे जेपीईजी एवं पीडीएफ फाइल में अंकित छोटे-छोटे अक्षरों की मदद से ही अपनी पढ़ाई जारी रखनी पड़ रही है। जिन बच्चों के अभिभावक के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है उनके लिए यह भी सुविधा नहीं मिल पा रही है।
- जेपीईजी एवं पीडीएफ फाइल पढ़ने में बच्चों को आंखों में हो रही परेशानी
लॉकडाउन में विद्यालय बंद होने की वजह से एक तरफ जहां बच्चों का नियमित क्लास बाधित है, तो दूसरी तरफ विद्यालय द्वारा सिलेबस एवं पाठ्यपुस्तक में बदलाव किए जाने की वजह से जेपीईजी व पीडीएफ फाइल की मदद से पढ़ाई करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से बच्चों पर तीसरी बार उनकी आंखों के ऊपर पड़ रहा है। मोबाइल पर भेजे जा रहे जेपीईजी एवं पीडीएफ फाइल में अंकित छोटे-छोटे अक्षरों को पढ़ने में बच्चों के आंखों पर भी काफी असर पड़ रहा है। कई बच्चे इस लॉकडाउन की अवधि में आंखों की परेशानी झेल रहे हैं।
- बच्चों के पढ़ाई एवं स्वास्थ्य से अधिक पुस्तक प्रकाशक के करार को महत्व दे रहे हैं विद्यालय प्रबंधन
विद्यालय प्रबंधन को बच्चों के पढ़ाई एवं उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभाव से अधिक महत्वपूर्ण पुस्तक प्रकाशन के साथ की गई करार है। कई विद्यालयों के प्रबंधन द्वारा सफाई दी जा रही है कि पुस्तक प्रकाशक एवं डिस्ट्रीब्यूटर से पूर्व में किए गए करार के आधार पर ही पाठ्य पुस्तकों में बदलाव करने को मजबूर हैं।
क्या कहते हैं विद्यालय प्रबंधन :-
विद्यालय द्वारा सिलेबस एवं पाठ्य पुस्तकों में किए गए बदलाव के बारे में पूछे जाने पर कॉलिंस इंटरनेशनल स्कूल के प्राचार्य राकेश कुमार ने बताया कि पाठ्य पुस्तकों में परिवर्तन को लेकर लॉकडाउन से पहले ही फरवरी महीने में ही पुस्तक प्रकाशन कम्पनी एवं डिस्ट्रीब्यूटर के साथ करार कर लिया गया था। यही कारण है कि कुछ पुस्तकों में बदलाव किया गया है।
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