जमालपुर। नयागांव संतमत सत्संग आश्रम के समीप चल रहे दो दिवसीय 15 वां विराट अधिवेशन का समापन शनिवार को सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के जयकारे के साथ हुआ। समापन सत्र के दौरान मुख्य प्रवचनकर्ता संतमत के प्रधान आचार्य पूज्यपाद स्वामी चतुरानंद जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार छत पर चढ़ने के लिए सीढ़ी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार परमात्मा तक पहुंचने के लिए ध्यान योग ही सीढ़ी है। आज लोगों को परमात्मा से योग हो गया है इसलिए आज ध्यान योग करने की आवश्यकता है। शरीर रूपी मुसकल में जीव रूपी मूसा फंसा हुआ है। ध्यान साधना से ही जीव परमात्मा से मिल सकता है। जैसे घटाकाश और मठाकाश महदाकाश का ही अंश है, उसी प्रकार जीवात्मा परमात्मा का ही अंश है। जो गुरु युक्ति से प्राप्त हो सकता है। मनुष्य योनि केवल परमात्मा को प्राप्त करने के लिए ही मिला है। संसार संशय और भ्रम का घर है, जो सत्संग ध्यान से ही खत्म हो सकता है। अगर जीवन में मुक्ति चाहते हैं तो सत्संग करना आवश्यक है। स्वामी योगानंद, स्वामी खगेश बाबा, स्वामी नरेंद्र बाबा, स्वामी सुरेशानंद बाबा, गुरुदेव बाबा, पूरन बाबा, गौतम बाबा, दिनेशानंद बाबा, भगतानंद बाबा, संतोषानंद बाबा, विद्यानंद बाबा, शीलनिधान बाबा, विष्णुनानंद बाबा, सरयुग बाबा, प्रभाकर बाबा ने भी आध्यात्मिक प्रवचन दिए। रविवार शाम को हलवा का भोग लगाकर श्रद्धालुओं के बीच भंडारा का आयोजन किया गया। मौके पर सचिव ओमप्रकाश गुप्ता, सुभाष चौरसिया, सीताराम वैद्य, अधिवक्ता आशीष कुमार, विद्यानंद प्रसाद, सदानंद तूड़ी, राजेंद्र साह, सकलदेव यादव, सोहन साह, मदन प्रसाद यादव, कैलाश तांती, रामसागर महतो, अरविंद साह, संजय पंडित, वासुदेव मंडल, उदय शंकर स्वर्णकार, रामोतार पंडित, कन्हैयालाल चौरासिया, शिवशंकर राम, अभिमन्यु साह, परशुराम चौरासिया, जगदीश पंडित, भोला पासवान, अशोक मंडल, देवनारायण पासवान, नवल यादव, बबलू यादव, दिवाकर यादव, प्रेमचंद चौरासिया, मदनलाल मंडल सहित हजारों सत्संगी श्रद्धालु मौजूद थे।
Sunday, 16 December 2018
महर्षि मेंही के जयकारा के साथ संपन्न हुआ संतमत का 15 वां विराट अधिवेशन
जमालपुर। नयागांव संतमत सत्संग आश्रम के समीप चल रहे दो दिवसीय 15 वां विराट अधिवेशन का समापन शनिवार को सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के जयकारे के साथ हुआ। समापन सत्र के दौरान मुख्य प्रवचनकर्ता संतमत के प्रधान आचार्य पूज्यपाद स्वामी चतुरानंद जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार छत पर चढ़ने के लिए सीढ़ी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार परमात्मा तक पहुंचने के लिए ध्यान योग ही सीढ़ी है। आज लोगों को परमात्मा से योग हो गया है इसलिए आज ध्यान योग करने की आवश्यकता है। शरीर रूपी मुसकल में जीव रूपी मूसा फंसा हुआ है। ध्यान साधना से ही जीव परमात्मा से मिल सकता है। जैसे घटाकाश और मठाकाश महदाकाश का ही अंश है, उसी प्रकार जीवात्मा परमात्मा का ही अंश है। जो गुरु युक्ति से प्राप्त हो सकता है। मनुष्य योनि केवल परमात्मा को प्राप्त करने के लिए ही मिला है। संसार संशय और भ्रम का घर है, जो सत्संग ध्यान से ही खत्म हो सकता है। अगर जीवन में मुक्ति चाहते हैं तो सत्संग करना आवश्यक है। स्वामी योगानंद, स्वामी खगेश बाबा, स्वामी नरेंद्र बाबा, स्वामी सुरेशानंद बाबा, गुरुदेव बाबा, पूरन बाबा, गौतम बाबा, दिनेशानंद बाबा, भगतानंद बाबा, संतोषानंद बाबा, विद्यानंद बाबा, शीलनिधान बाबा, विष्णुनानंद बाबा, सरयुग बाबा, प्रभाकर बाबा ने भी आध्यात्मिक प्रवचन दिए। रविवार शाम को हलवा का भोग लगाकर श्रद्धालुओं के बीच भंडारा का आयोजन किया गया। मौके पर सचिव ओमप्रकाश गुप्ता, सुभाष चौरसिया, सीताराम वैद्य, अधिवक्ता आशीष कुमार, विद्यानंद प्रसाद, सदानंद तूड़ी, राजेंद्र साह, सकलदेव यादव, सोहन साह, मदन प्रसाद यादव, कैलाश तांती, रामसागर महतो, अरविंद साह, संजय पंडित, वासुदेव मंडल, उदय शंकर स्वर्णकार, रामोतार पंडित, कन्हैयालाल चौरासिया, शिवशंकर राम, अभिमन्यु साह, परशुराम चौरासिया, जगदीश पंडित, भोला पासवान, अशोक मंडल, देवनारायण पासवान, नवल यादव, बबलू यादव, दिवाकर यादव, प्रेमचंद चौरासिया, मदनलाल मंडल सहित हजारों सत्संगी श्रद्धालु मौजूद थे।
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