रेल विश्वविद्यालय के सवाल पर जमालपुर के राजनीतिज्ञों को एक मंच पर आने का किया आह्वान
जमालपुर। जमालपुर में रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को एकमत रखते हुए एकजुटता के साथ आगे बढ़ना होगा। रेल विश्वविद्यालय के सवाल पर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को एक मंच पर आने की जरूरत है। उक्त बातें रविवार को ईदगाह रोड में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिहार के पूर्व काबीना मंत्री उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने कही। जमालपुर एवं मुंगेर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले राजद, रालोसपा, भाजपा, जदयू, लोजपा एवं अन्य पार्टियों के नेताओं को आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हर राजनीतिक दल के नेता अपने पार्टी के सांसदों को सदन में जमालपुर रेल विश्वविद्यालय एवं जमालपुर रेल कारखाना के विकास का सवाल उठाने के लिए बाध्य करें। ताकि देश के उच्च सदन में जमालपुर रेल विश्वविद्यालय का मुद्दा उठने के बाद रेल मंत्री एवं प्रधानमंत्री जमालपुर को अपना रेल विश्वविद्यालय स्थापित करने पर मजबूर हो जाएं। जमालपुर, मुंगेर, भागलपुर, बांका, खगड़िया, लखीसराय सहित आसपास के कई क्षेत्रों का विकास जमालपुर रेल कारखाने के विकास के साथ जुड़ा है। जमालपुर मुंगेर के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता बाहर से आने वाले रेल के वरीय अधिकारियों के आगमन पर ही जमालपुर रेल कारखाना के सवाल पर सक्रिय नजर आते हैं रेलवे के वरीय अधिकारियों के जाने के बाद वह रेल के मुद्दे पर अपनी सक्रियता को समाप्त कर दूसरे मुद्दों पर राजनीति शुरु कर देते हैं। यही कारण है कि जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा दिलाने में कोई राजनीतिक पार्टी के नेता सफल नहीं हो पाए हैं। विगत दिनों जमालपुर के दौरे पर आए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी के आगमन पर जमालपुर मुंगेर के विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने चारों तरफ से रेलवे विश्वविद्यालय की मांग को उठाई मगर इस विषय पर एकजुटता नहीं होने की वजह से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने इस विषय पर अपनी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान में स्पेशल क्लास रेलवे अपरेंटिस की पढ़ाई दोबारा चालू करने की घोषणा तो कर दी, मगर इसे गुजरात के बड़ोदरा में स्थापित हो रहे देश के पहले रेल विश्वविद्यालय से जोड़ने की घोषणा कर एससीआरए की विश्वसनीयता को घटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावे भारत में रेलवे के क्षेत्र में सबसे बड़ा अभियंत्रण संस्थान के रूप में जमालपुर रेल कारखाना परिसर में स्थित इरिमी संस्थान के विशिष्टता को भी घटाने का प्रयास किया जा रहा है। गुजरात में स्थापित हो रहे रेलवे विश्वविद्यालय को विदेशों से भी फंड मुहैया कराई जा रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में चार रेल विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने की नीतिगत फैसले के मुताबिक पूर्व रेलवे जोन के सबसे महत्वपूर्ण संस्थान इरिमी संस्थान परिसर में देश के दूसरे रेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। पूर्व मंत्री ने जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा दिए जाने की मांग उठाते हुए कहा कि 1985 से 1990 तक विपक्ष के कार्यकाल के दौरान विधानसभा के सचेतक की भूमिका में उन्होंने कई बार जमालपुर के सबसे बड़े औद्योगिक संस्थान रेल इंजन कारखाना जमालपुर को निर्माण कारखाना बनाने की मांग उठाते रहे हैं। मगर जमालपुर की नकारात्मक राजनीति की वजह से आज तक जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा नहीं प्राप्त हो सका है। यदि जमालपुर रेल कारखाना को यह दर्जा मिल जाएगा तो जमालपुर में रेल महाप्रबंधक स्तर के वरीय अधिकारी पदस्थापित हो जाएंगे। जिसके बाद जमालपुर रेल कारखाना का सीधा जुड़ाव पूर्व रेलवे मुख्यालय से हो जाएगा। हावड़ा के आसपास स्थित रेल कारखानों का सीधा संपर्क रेलवे मुख्यालय से है इस कारण उन कारखानों का विकास जमालपुर रेल इंजन कारखाना की अपेक्षा कई गुना बढ़ा है। मगर एशिया के सबसे पुराने पुराना रेल कारखाना होने के बावजूद जमालपुर रेल कारखाना का अब तक विकास नहीं हो पाया। रोजगार का सवाल उठाते हुए पूर्व काबीना मंत्री ने कहा कि जमालपुर रेल कारखाना में चतुर्थवर्गीय पदों पर स्थानीय स्तर पर बहाली की जानी चाहिए। जमालपुर रेल कारखाना से उत्पन्न हो रहे दूषित वायु एवं अन्य हानिकारक कारकों को जमालपुर की स्थानीय जनता झेलना पड़ता है। इसलिए जमालपुर रेल कारखाने पर उनका भी एक वाजिब हक बनता है। रेलवे को चाहिए कि भले ही ग्रुप ए ग्रुप बी एवं ग्रुप सी के पदों पर वह केंद्रीय स्तर से बहाली कराएं। मगर चतुर्थवर्गीय स्तर के कर्मचारियों की बहाली में स्थानीय लोगों को मौका पहले मिलना चाहिए। पूर्व मंत्री ने कहा कि इन 3 सवालों को लेकर आगामी 23, 24 एवं 25 फरवरी को रेलमंत्री से मुलाकात का समय मांगा है। रेलमंत्री से मुलाकात के दौरान वह इन तीनों मुद्दों को उनके समक्ष रखेंगे। साथ ही इन मुद्दों को लेकर वह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान से भी मुलाकात करेंगे। और उनसे अपील करेंगे कि पूर्व रेल मंत्री होने के नाते वह जमालपुर रेल कारखाने के विकास को लेकर संसद में अपने विचार रखें । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी उन्होंने जमालपुर रेल कारखाना के विकास एवं जमालपुर में रेल विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रेल मंत्री सुरेश प्रभु से वार्ता करने की अपील की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जापान दौरे पर जाने वाले हैं। जापान से लौटने के बाद मुख्यमंत्री संभवतः इन विषयों पर प्रधानमंत्री एवं रेल मंत्री से चर्चा कर सकते हैं। इस दौरान मौके पर रविंद्र कुमार रवि, गणेश पासवान, शशि नारायण मंडल, प्रदीप यादव, शक्तिधर मंडल, अशोक कुमार भूषण, प्रभाकर कुमार, कमल किशोर प्रसाद, शमशेर आलम, अजय कुशवाहा, नवलकिशोर एवं भोला प्रसाद सिंह मौजूद थे।
जमालपुर। जमालपुर में रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को एकमत रखते हुए एकजुटता के साथ आगे बढ़ना होगा। रेल विश्वविद्यालय के सवाल पर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को एक मंच पर आने की जरूरत है। उक्त बातें रविवार को ईदगाह रोड में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिहार के पूर्व काबीना मंत्री उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने कही। जमालपुर एवं मुंगेर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले राजद, रालोसपा, भाजपा, जदयू, लोजपा एवं अन्य पार्टियों के नेताओं को आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हर राजनीतिक दल के नेता अपने पार्टी के सांसदों को सदन में जमालपुर रेल विश्वविद्यालय एवं जमालपुर रेल कारखाना के विकास का सवाल उठाने के लिए बाध्य करें। ताकि देश के उच्च सदन में जमालपुर रेल विश्वविद्यालय का मुद्दा उठने के बाद रेल मंत्री एवं प्रधानमंत्री जमालपुर को अपना रेल विश्वविद्यालय स्थापित करने पर मजबूर हो जाएं। जमालपुर, मुंगेर, भागलपुर, बांका, खगड़िया, लखीसराय सहित आसपास के कई क्षेत्रों का विकास जमालपुर रेल कारखाने के विकास के साथ जुड़ा है। जमालपुर मुंगेर के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता बाहर से आने वाले रेल के वरीय अधिकारियों के आगमन पर ही जमालपुर रेल कारखाना के सवाल पर सक्रिय नजर आते हैं रेलवे के वरीय अधिकारियों के जाने के बाद वह रेल के मुद्दे पर अपनी सक्रियता को समाप्त कर दूसरे मुद्दों पर राजनीति शुरु कर देते हैं। यही कारण है कि जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा दिलाने में कोई राजनीतिक पार्टी के नेता सफल नहीं हो पाए हैं। विगत दिनों जमालपुर के दौरे पर आए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी के आगमन पर जमालपुर मुंगेर के विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने चारों तरफ से रेलवे विश्वविद्यालय की मांग को उठाई मगर इस विषय पर एकजुटता नहीं होने की वजह से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने इस विषय पर अपनी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान में स्पेशल क्लास रेलवे अपरेंटिस की पढ़ाई दोबारा चालू करने की घोषणा तो कर दी, मगर इसे गुजरात के बड़ोदरा में स्थापित हो रहे देश के पहले रेल विश्वविद्यालय से जोड़ने की घोषणा कर एससीआरए की विश्वसनीयता को घटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावे भारत में रेलवे के क्षेत्र में सबसे बड़ा अभियंत्रण संस्थान के रूप में जमालपुर रेल कारखाना परिसर में स्थित इरिमी संस्थान के विशिष्टता को भी घटाने का प्रयास किया जा रहा है। गुजरात में स्थापित हो रहे रेलवे विश्वविद्यालय को विदेशों से भी फंड मुहैया कराई जा रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में चार रेल विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने की नीतिगत फैसले के मुताबिक पूर्व रेलवे जोन के सबसे महत्वपूर्ण संस्थान इरिमी संस्थान परिसर में देश के दूसरे रेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। पूर्व मंत्री ने जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा दिए जाने की मांग उठाते हुए कहा कि 1985 से 1990 तक विपक्ष के कार्यकाल के दौरान विधानसभा के सचेतक की भूमिका में उन्होंने कई बार जमालपुर के सबसे बड़े औद्योगिक संस्थान रेल इंजन कारखाना जमालपुर को निर्माण कारखाना बनाने की मांग उठाते रहे हैं। मगर जमालपुर की नकारात्मक राजनीति की वजह से आज तक जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा नहीं प्राप्त हो सका है। यदि जमालपुर रेल कारखाना को यह दर्जा मिल जाएगा तो जमालपुर में रेल महाप्रबंधक स्तर के वरीय अधिकारी पदस्थापित हो जाएंगे। जिसके बाद जमालपुर रेल कारखाना का सीधा जुड़ाव पूर्व रेलवे मुख्यालय से हो जाएगा। हावड़ा के आसपास स्थित रेल कारखानों का सीधा संपर्क रेलवे मुख्यालय से है इस कारण उन कारखानों का विकास जमालपुर रेल इंजन कारखाना की अपेक्षा कई गुना बढ़ा है। मगर एशिया के सबसे पुराने पुराना रेल कारखाना होने के बावजूद जमालपुर रेल कारखाना का अब तक विकास नहीं हो पाया। रोजगार का सवाल उठाते हुए पूर्व काबीना मंत्री ने कहा कि जमालपुर रेल कारखाना में चतुर्थवर्गीय पदों पर स्थानीय स्तर पर बहाली की जानी चाहिए। जमालपुर रेल कारखाना से उत्पन्न हो रहे दूषित वायु एवं अन्य हानिकारक कारकों को जमालपुर की स्थानीय जनता झेलना पड़ता है। इसलिए जमालपुर रेल कारखाने पर उनका भी एक वाजिब हक बनता है। रेलवे को चाहिए कि भले ही ग्रुप ए ग्रुप बी एवं ग्रुप सी के पदों पर वह केंद्रीय स्तर से बहाली कराएं। मगर चतुर्थवर्गीय स्तर के कर्मचारियों की बहाली में स्थानीय लोगों को मौका पहले मिलना चाहिए। पूर्व मंत्री ने कहा कि इन 3 सवालों को लेकर आगामी 23, 24 एवं 25 फरवरी को रेलमंत्री से मुलाकात का समय मांगा है। रेलमंत्री से मुलाकात के दौरान वह इन तीनों मुद्दों को उनके समक्ष रखेंगे। साथ ही इन मुद्दों को लेकर वह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान से भी मुलाकात करेंगे। और उनसे अपील करेंगे कि पूर्व रेल मंत्री होने के नाते वह जमालपुर रेल कारखाने के विकास को लेकर संसद में अपने विचार रखें । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी उन्होंने जमालपुर रेल कारखाना के विकास एवं जमालपुर में रेल विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रेल मंत्री सुरेश प्रभु से वार्ता करने की अपील की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जापान दौरे पर जाने वाले हैं। जापान से लौटने के बाद मुख्यमंत्री संभवतः इन विषयों पर प्रधानमंत्री एवं रेल मंत्री से चर्चा कर सकते हैं। इस दौरान मौके पर रविंद्र कुमार रवि, गणेश पासवान, शशि नारायण मंडल, प्रदीप यादव, शक्तिधर मंडल, अशोक कुमार भूषण, प्रभाकर कुमार, कमल किशोर प्रसाद, शमशेर आलम, अजय कुशवाहा, नवलकिशोर एवं भोला प्रसाद सिंह मौजूद थे।
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