मुंगेर/धरहरा ।। उप-सम्पादक प्रिंस दिलखुश व लालमोहन महाराज की रिपोर्ट ।। जमालपुर-धरहरा रेल खण्ड पर ब्रिटिस कालीन जामने में ही बने जर्जर हो चुके रेलपुल पर ही रेल गाङियां दौङ रही है। इससे होगर गुजरने वाली 40 ट्रेनों के दबाव से कभी भी काई बङा हादसा हो सकती है। सैकङों रेल यात्रियों की जाने जा सकती है। साथ ही रेलवे को अरबों रूपये का नुक्सान हो सकता है। विगत 12 अक्टूबर को भी धरहरा-दशरथपुर रेलखण्ड का 50 नं0 पुल का गाईडवाल ढह गया था। जिसके कारण रेल महकमें में हलचल मच गई थी। आनन-फानन में अप व डाउन के ट्रेनों को सस्पेन्ड कर दिया गया। कङी मसक्कत के बाद सिनीयर सेक्सन इंजीनियर एके सरकार के पर्यवेक्षण के बाद 20 किलोमीटर का कौउसन देकर परिचालन शुरू कराया गया। इसके बाद रेलवे ने सिर्फ बोल्डर और बालू की बोरियों को छतिग्रस्त सुरक्षा दीवार के पास गिराकर मरम्मती की खानापूर्ती का काम किया है। अभी भी इस पुल से गाङियों को धीमी कराकर चलाया जाता है। विगत 23 अक्टूबर को अदलपुर हाल्ट स्थित खरतरनाक स्थिति वाला छतिग्रस्त पुल सं0 45 पर भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी ट्रेन की चपेट में आने से चार छठिव्रति महिलाओं की मौत हुई थी। इस घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचे रेलवे के आलाधिकारी टीआई दिलीप कुमार ने भी छातिग्रस्त पुलों का जायजा लेकर इंजीनियरिंग विभाग को अवगत कराया था। स्थानीय ग्रामीण रेलयात्री अमरजीत कुमार, मुन्ना कुमार, अमारी पंचायत के मुखिया रतनेश कुमार, सिकंदर यादव सहित दर्जनों लोगों ने अधिकारियों को खतरनाक स्थिति और छतिग्रस्त हो चुके पुल का जीर्नोधार कराने की मांग की थी। ग्रामीणों का कहना था कि अपने फसल की देखभाल करने के लिए रेल पटरी क्रास कर के जाने वाले किसान इस खतरनाक पुल के कारण ट्रेन की चपेट में आ सकते है। वर्ष 2009 में भी दशरथपुर लेवल क्रासिंग गेट सं0 18 के पुल में भी बारिश के समय पहाङ से निकले तेज बहाव में छतिग्रस्त हुआ था। एक स्थानीय दुकानदार के बच्ची की भी मौत इसी पुल में हुई थी। घटना के बाद पुल भी छतिग्रस्त हुआ था। घटना के बाद हरकत में आई रेलवे ने जैसे-तैसे मरम्मती कार्य कर अपने कार्य की ईतिश्री कर ली । दशरथपुर-धरहरा रेलखण्ड पर ब्रिटिश कालीन आधे दर्जन पुल की स्थिति जर्जर है। कई पुलों में बरसात का पानी तो कई में गाद भरे हुए है। इस रेलखण्ड पर हीन पुलों पर से होकर 40 ट्रेनांं की रोजाना आवाजाही होती है। सही ढंग से पुलों की मरम्मती नहीं होने से रेलखण्ड पर भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है। कभी भी कोई बङा रेल हादसा हो सकता है। वहीं इस सम्बंध में पुछेजाने पर पुलों की मरम्मती करने वाले रेल अधिकारी एईएन हेमंत कुमार ने कहा कि छतिग्रस्त पुल सं0 50 को बनाया जा चुका है। साथ ही उसमें मजबूती दी जा रही है। अब कोई पुल छतिग्रस्त नहीं है। उन्होंने कहा कि पुल में पानी के तेज बहाव आ जाने के बाद मिट्ठी की कटाई से यह स्थिति उत्पन्न होती है। मेन्टनेन्स कार्य लगातार किया जा रहा है। नये पुल बनाने की जिम्मेवारी रेलवे बोर्ड की है।
Tuesday, 14 November 2017
धरहरा में रेल हादसे को निमंत्रण दे रहा जर्जर रेल पुल
मुंगेर/धरहरा ।। उप-सम्पादक प्रिंस दिलखुश व लालमोहन महाराज की रिपोर्ट ।। जमालपुर-धरहरा रेल खण्ड पर ब्रिटिस कालीन जामने में ही बने जर्जर हो चुके रेलपुल पर ही रेल गाङियां दौङ रही है। इससे होगर गुजरने वाली 40 ट्रेनों के दबाव से कभी भी काई बङा हादसा हो सकती है। सैकङों रेल यात्रियों की जाने जा सकती है। साथ ही रेलवे को अरबों रूपये का नुक्सान हो सकता है। विगत 12 अक्टूबर को भी धरहरा-दशरथपुर रेलखण्ड का 50 नं0 पुल का गाईडवाल ढह गया था। जिसके कारण रेल महकमें में हलचल मच गई थी। आनन-फानन में अप व डाउन के ट्रेनों को सस्पेन्ड कर दिया गया। कङी मसक्कत के बाद सिनीयर सेक्सन इंजीनियर एके सरकार के पर्यवेक्षण के बाद 20 किलोमीटर का कौउसन देकर परिचालन शुरू कराया गया। इसके बाद रेलवे ने सिर्फ बोल्डर और बालू की बोरियों को छतिग्रस्त सुरक्षा दीवार के पास गिराकर मरम्मती की खानापूर्ती का काम किया है। अभी भी इस पुल से गाङियों को धीमी कराकर चलाया जाता है। विगत 23 अक्टूबर को अदलपुर हाल्ट स्थित खरतरनाक स्थिति वाला छतिग्रस्त पुल सं0 45 पर भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी ट्रेन की चपेट में आने से चार छठिव्रति महिलाओं की मौत हुई थी। इस घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचे रेलवे के आलाधिकारी टीआई दिलीप कुमार ने भी छातिग्रस्त पुलों का जायजा लेकर इंजीनियरिंग विभाग को अवगत कराया था। स्थानीय ग्रामीण रेलयात्री अमरजीत कुमार, मुन्ना कुमार, अमारी पंचायत के मुखिया रतनेश कुमार, सिकंदर यादव सहित दर्जनों लोगों ने अधिकारियों को खतरनाक स्थिति और छतिग्रस्त हो चुके पुल का जीर्नोधार कराने की मांग की थी। ग्रामीणों का कहना था कि अपने फसल की देखभाल करने के लिए रेल पटरी क्रास कर के जाने वाले किसान इस खतरनाक पुल के कारण ट्रेन की चपेट में आ सकते है। वर्ष 2009 में भी दशरथपुर लेवल क्रासिंग गेट सं0 18 के पुल में भी बारिश के समय पहाङ से निकले तेज बहाव में छतिग्रस्त हुआ था। एक स्थानीय दुकानदार के बच्ची की भी मौत इसी पुल में हुई थी। घटना के बाद पुल भी छतिग्रस्त हुआ था। घटना के बाद हरकत में आई रेलवे ने जैसे-तैसे मरम्मती कार्य कर अपने कार्य की ईतिश्री कर ली । दशरथपुर-धरहरा रेलखण्ड पर ब्रिटिश कालीन आधे दर्जन पुल की स्थिति जर्जर है। कई पुलों में बरसात का पानी तो कई में गाद भरे हुए है। इस रेलखण्ड पर हीन पुलों पर से होकर 40 ट्रेनांं की रोजाना आवाजाही होती है। सही ढंग से पुलों की मरम्मती नहीं होने से रेलखण्ड पर भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है। कभी भी कोई बङा रेल हादसा हो सकता है। वहीं इस सम्बंध में पुछेजाने पर पुलों की मरम्मती करने वाले रेल अधिकारी एईएन हेमंत कुमार ने कहा कि छतिग्रस्त पुल सं0 50 को बनाया जा चुका है। साथ ही उसमें मजबूती दी जा रही है। अब कोई पुल छतिग्रस्त नहीं है। उन्होंने कहा कि पुल में पानी के तेज बहाव आ जाने के बाद मिट्ठी की कटाई से यह स्थिति उत्पन्न होती है। मेन्टनेन्स कार्य लगातार किया जा रहा है। नये पुल बनाने की जिम्मेवारी रेलवे बोर्ड की है।
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